अंतरिक्ष उपयोग केंद्र की स्थापना सन् 1972 में हुई थी और जल्द ही भास्कर 1 और 2 क टीवी नीतभार का विकास शुरू कर दिया गया, यह गतिविधियां वर्ष 1975 में गिरीश कोल्ड ड्रिंक्स, सीजी रोड के निकट किराए पर लिए गए परिसर तत्कालीन लीना अपार्टमेंट में शूरू की गई। भास्कर-1 लगभग 450 किलो वजन का बाद के आईआरएस अंतरिक्ष यान की तुलना में एक छोटा उपग्रह था, और इसमें रक्त और निकट अवरक्त वर्णक्रम क्षेत्रों में चलने वाले दो टीवी कैमरे लगे थे। दोनों अंतरिक्ष यान स्पिन स्थिर थे। इन दो अंतरिक्ष यानों के विकास और प्राप्त डेटा की प्रोसेसिंग से मिला अनुभव भविष्य के उपग्रहों के विकास के लिए अमूल्य था। तब से सैक 50 से अधिक विद्युत प्रकाशिकी और सूक्ष्मतरंग नीतभारों का निर्माण कर चुका है।
इन दशकों में, सैक ने बहु मंच, बहु स्पेक्ट्रल, बहु-सामयिक, हाइपर स्पेक्ट्रल, बहु-विभेदन, दिन रात और सभी मौसम में कार्यशील भू प्रेक्षण नीतभार के विकास में विशेषज्ञता हासिल की है।
इन नीतभारों को आम आदमी के काम आने वाले विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों के लिए उपयोगकर्ता आवश्यकता पर विचार करके डिजाइन किया गये हैं:
- खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना
- जल सुरक्षा सुनिश्चित करना
- पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र कायम रखना
- प्राकृतिक संसाधन जनगणना
- बुनियादी ढांचे का विकास
- स्मार्ट गवर्नेंस को समर्थन
- मौसम की भविष्यवाणी