महासागर में हजारों सूक्ष्म, मुक्त तैरने वाले, एक कोशिकीय पौधे "पादप प्लवक" मौजूद हैं जो धूप, कार्बन डाइऑक्साइड और समुद्र की उजली ऊपरी परतों में मौजूद पोषक तत्वों से ऊर्जा संचयन द्वारा अपने स्वयं का भोजन बनाने में सक्षम हैं। प्रकाश संश्लेषण के रूप में जानी जाने वाली यह प्रक्रिया ऑक्सीजन को मुक्त करती है और समुद्र में पशु जीवन भी संभव बनाती है। पादप प्लवक समुद्र में पौधों के समकक्ष हैं और समुद्री खाद्य श्रृंखला का आधार हैं। इसके अलावा, वे मृत कोशिकाओं को सागर के निचले और अंदरूनी हिस्सों में भेजकर वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड हटाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सभी पादप प्लवक में मौजूद हरा रंग क्लोरोफिल-ए है, जो मुख्य रूप से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में शामिल है। यह वर्णक्रम से नीली और लाल रोशनी लेता है और हरा क्षेत्र अपेक्षाकृत रूप से कम अवशोषित करता है। क्लोरोफिल वाले पादप प्लवकों का केंद्रीकरण बढ़ने पर सागर का रंग उत्तरोत्तर नीले से हरा होता जाता है। अवलोकन करने पर पता चला है कि के केंद्रीकरण में परिवर्तम समुद्र सतह के ऊपर के रंग के परिवर्तन से संबंधित हैं। पादप प्लवक क्लोरोफिल-ए के केंद्रीकरण के रूप में नापे और दर्ज किए जाते हैं।पिछले 10 वर्षों में, इसरो का सागर रंग कार्यक्रम महासागर हितधारकों, नीति निर्माताओं और पर्यावरण प्रबंधकों भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) की समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति पर संक्षेप में नियमित और व्यवस्थित जानकारी देने वाली महासागर रंग-आधारित सेवाओं के रूप में विकसित किया गया।
ओशनसैट-2 ओसीएम उत्पाद सक्रिय रूप से 360मी विभेदन पर स्थानीय क्षेत्र के कवरेज (एलएसी) और 1 किमी विभेदन पर वैश्विक कवरेज (जीएसी) के लिए उपलब्ध हैं।
संभावित मत्स्यन क्षेत्र (पीएफजेड) पूर्वानुमान।यह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अनुप्रयोग है। एसएसटी के योगवाही उपयोग, उपग्रह से प्राप्त सीएचएल-1 और पवन डेटा का प्रयोग पीएफजेड परामर्श देने के लिए किया जाता है। अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक) में विकसित यह तकनीक पीएफजेड सलाहकार के प्रचार-प्रसार के लिए तटीय महासागर सूचना सेवा के लिए भारतीय राष्ट्रीय केंद्र (आईएनसीओआईएस) को स्थानांतरित की गई थी। पीएफजेड सलाहकार ने पारंपरिक मछुआरा समुदाय के समय और ईंधन लागत को कम कर दिया है जिनके पास संसाधनों का पता लगाने के लिए अत्याधुनिक उपकरण मौजूद नहीं हैं।
एसएसटी, सीएचएल-ए और पवन वेक्टर छवियों का प्रयोग पीएफजेड पूर्वानुमान के लिए किया जाता है। महासागर वर्ण विशिष्टताओं यथा वर्ण/ थर्मल फ्रंट्स, उमड़ अंचल, मींडर्स, एसएसटी क्लोरोफिल-एक समग्र मानचित्र ने एडीज पीएफजेड स्थानों के रूप में अर्हता प्राप्त की है। अनुपातों के विकास, दृढ़ता और परिमाणों से महासागरों में मछली पकड़ने के अच्छे क्षेत्रों में परिवर्तन का संकेत मिलता है।महासागर विज्ञान के क्षेत्र में, केंद्र ने सागर रंग का कई विज्ञान अनुप्रयोगों में प्रयोग किया है। सागर रंग छवियों के संक्षिप्त नक्शों का उपयोग बड़ी संख्या में वैज्ञानिक अनुप्रयोगों हेतु हो रहा है। इनमें सागर प्राथमिक उत्पादन का आकलन, हानिकारक शैवाल पल्लवन का पता लगाना तथा विश्लेषण करना (HAB), धूल एयरोसौल्ज़ का मानचित्रण, सुदूर संवेदन और जीआईएस आधारित मत्स्य प्रबंधन, हिंद महासागर में चक्रवात प्रेरित उत्पादकता, पादप प्लवक शरीर विज्ञान, सागर-सतह का नाइट्रेट आकलन और जलवायु परिवर्तन का अध्ययन शामिल हैं।
महासागर प्राथमिक उत्पादन
हानिकारक शैवाल पल्लवन (HAB)
OCM productsare operationally available for local area coverage (LAC) at 360m resolution and Global coverage(GAC) at 1 km resolution
Potential Fishing Zone (PFZ) Forecast. This is a very important application of space technology. Synergistic use of SST, Chl-a & wind data from satellite is used to generate PFZ advisories. This technique developed at Space Applications Centre (SAC) was transferred to Indian National Centre for Coastal Ocean information Services (INCOIS) for operational dissemination of PFZ advisories. PFZ advisories have reduced the search time and fuel costs of traditional fishing community that lack sophisticated equipment's to locate resources.
SST, chl-a & wind vector images are used for PFZ forecast. Ocean color features such as color/thermal fronts, upwelling zones, meanders, eddies in SST-chlorophyll-a composite maps qualify as PFZ locations. Evolution, persistence and magnitude of gradients indicate good zones for fishing shift in oceanic features.
In the domain of oceanography, the centre has many science applications of ocean colour. Synoptic maps of ocean color images are used to address a large number of science applications. These range from estimating ocean primary production, detection and monitoring harmful algal blooms (HAB), mapping dust aerosols, Remote sensing and GIS based fisheries management, cyclone induced productivity in the Indian Ocean, phytoplankton physiology, sea surface nitrate estimation and climate change studies.
Ocean primary production
Harmful Algal blooms (HAB)