भारत का पहली प्रायोगिक संचार उपग्रह, 'एप्पल' की अभिकल्पना, संविरचन और योग्यता परीक्षण सैक में किया गया था। यह अरियन की पहली प्रायोगिक उड़ान पर प्रमोचित किया गया था। तब से केंद्र ने संचार नीतभार की अभिकल्पना और विकास में सशक्त क्षमता विकसित की है। उपग्रह संचार नीतभार प्रेषानुकर से बने होते हैं। इनसैट और जीसैट उपग्रह श्रृंखला के लिए प्रेषानुकर यूएचएफ, एल, एस, सी, विस्तृत सी, केयू और केए बैंड के विभिन्न बैंड में अभिकल्पित किए जा रहे हैं। भूस्थिर उपग्रह (जीसैट) संचार उपग्रहों की परिचालन श्रृंखला है जो भारतीय नागरिक उपयोग के लिए नियत उपग्रह सेवाएं प्रदान करता है। सैक संचार प्रेषानुकारों की विभिन्न उप-प्रणालियाँ अभिकल्पित और विकसित करता है।
उपग्रह नौसंचालन नीतभार भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) पर सवार हैं। आईआरएनएसएस जीईओ और जीएसओ उड़ान के संयोजन के उपयोग से क्षेत्रीय नौसंचालन प्रणाली की स्थापना की परिकल्पना है। आईआरएनएसएस तंत्र द्वारा भारत और आसपास के 1500 किमी के विस्तार में 20 मीटर से बेहतर स्थिति परिशुद्धता प्रदान करने की उम्मीद है। आईआरएनएसएस प्रणाली को अब 'NAVIC' – ‘भारतीय नक्षत्र-समूह का उपयोग कर नौसंचालन’ कहा जाता है।
केंद्र को स्पेक्ट्रम के विभिन्न बैंड में ऑनबोर्ड ऐंटेना सिस्टम की अभिकल्पना और विकास में विशेषज्ञता हासिल है। भविष्य के अभियानों के लिए सैक ने उन्नत प्रौद्योगिकियों जैसे उच्च शक्ति एसएसपीए और आउटपुट फिल्टर, पुनर्विन्यास योग्य उच्च थ्रूपुट उपग्रहों, बिजली पुनर्विन्यास हेतु मल्टीपोर्ट प्रवर्धकों,, अधिक संख्या वाले बहु-किरणपुंज उपग्रह, खुलने वाले एवं पुनर्विन्यास करने योग्य ऐंटेना आदि पर दृष्टि केंद्रित की है।