सैक भूविज्ञान में सुदूर संवेदन और जीआईएस प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों में शामिल है और समाज के लाभ के लिए कई परियोजनाओं को कार्यान्वित कर रहा है। प्रमुख अनुसंधान क्षेत्र तटीय और समुद्री भूविज्ञान, भू गति-विज्ञान, भू-संकट, खनिज, हाइड्रोकार्बन और भू-पुरातात्विक अन्वेषण से संबंधित हैं। सैक भूविज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों के अनुप्रयोग में भारतीय उपग्रहों के अनुसंधान और विकास तथा संक्रियात्मक उपयोग हेतु परिकल्पना और कार्यान्वयन करता है। यह भागीदार संस्थानों के रूप में अपनी प्राथमिकताओं को परिभाषित करने, तकनीक के विकास और प्रौद्योगिकी अंतरण हेतु कई संबंधित केंद्र और राज्य सरकार के विभागों, मंत्रालयों और राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों तथा अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सूचना का आदान-प्रदान करता है। प्रमुख परियोजनाएँ हैं:
- भारत की बंजर भूमि का मानचित्रण
- भारतीय तट की तटरेखा परिवर्तन का मानचित्रण
- तटीय तलछट परिवहन और तटीय पर्यावरण पर इसके प्रभाव की मॉडलिंग
- उपग्रह द्वारा प्राप्त जिओइड और गुरुत्वाकर्षण डेटा का उपयोग कर समुद्री लिथोस्फियर की मॉडलिंग
- एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन
- भूकंप पूर्व संकेत
- तूफान और सूनामी की वजह से तटीय जोखिम
- भू-गतिशीलता अध्ययन
- हाइपरस्पेक्ट्रल अध्ययन