सैटकॉम अनुप्रयोग
हममें से अधिकांश किसी न किसी तरह से उपग्रह संचार से जुड़े हुए हैं, भले ही हमको यह पता न चले। उपग्रह संचार (सैटकॉम) कुछ अद्वितीय लाभ प्रदान करता है जैसे कि हर जगह का कवरेज, दूर दराज के क्षेत्रों में सेवाएं, हर जगह कनेक्टिविटी आदि। पिछले ढाई दशकों में भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इन्सैट) और जीसैट प्रणाली ने देश में दूरसंचार टीवी प्रसारण, डीटीएच सेवाओं, व्यापार संचार, ग्रामीण क्षेत्र कनेक्टिविटी आदि में क्रांति ला दी है। उपग्रह संचार प्रौद्योगिकी पिछले तीन दशकों में काफी परिपक्व हो गयी है और वाणिज्यिक आधार पर बड़ी संख्या में अनुप्रयोगों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
सैटकॉम अनुप्रयोगों में, उपग्रह आधारित टेली-शिक्षा, टेली मेडिसिन, ग्रामीण संसाधन केंद्रों, वाइड-बैंड सेवा वर्तमान में महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। निकट भविष्य में, मल्टी स्पॉट बीम उच्च शक्ति, केयू/केए आवृत्ति का उपयोग करते हुए उच्च थ्रूपुट उपग्रहों के उपयोग से ब्रॉडबैंड इंटरनेट और इसी तरह के वीएसएटी अनुप्रयोग उपलब्ध कराए जाएंगे।
एडूसैट अनुप्रयोगों परियोजना स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर पूरे देश के लिए उपग्रह आधारित दूरस्थ शिक्षा के प्रसार पर केंद्रित है। दूरचिकित्सा दूरदराज के क्षेत्रों में सुपर स्पेश्यलिटी चिकित्सकों की सेवाएं देकर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बहुत मूल्यवान समर्थन प्रदान कर रही है।
भारत में मोबाइल उपग्रह सेवा एमएसएस राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के लिए और सामरिक अनुप्रयोग की जरूरत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो गयी है। एक तरफा पाठ्यसंदेश और स्थिति रिपोर्टिंग अनुप्रयोग क्रियान्वित है और इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी प्रणाली को दो तरफा डेटा संचार के लिए उन्नत किया गया है। उच्च शक्ति बहु किरणपुंज एस-बैंड उपग्रहों ने लोकप्रिय एमएसएस अनुप्रयोगों के लिए छोटे टर्मिनलों का मार्ग प्रशस्त किया है।
सैक ने निकट भविष्य में अलग एस-बैंड संचार सेवाओं का समर्थन करने के लिए एकीकृत आईपी आधारित हब के साथ विभिन्न हस्तसाधित और पोर्टेबल टर्मिनलों का विकास किया है। दो तरफा आवाज और मल्टीमीडिया संचार, अवस्थिति रिपोर्टिंग और हस्तसाधित टर्मिनलों को प्रसारण जैसी उपग्रह आधारित सेवाओं का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया है। निकट भविष्य में इनके संचालन की योजना बनाई गई है।
वर्ष 2008 में इसरो ने आपदा प्रबंधन के समर्थन के लिए एक सैटकॉम आधारित ब्रॉडबैंड वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) की स्थापना की थी। नेटवर्क जीसैट -12 उपग्रह पर एक्सटेंशन-सी बैंड में कार्य कर रहा है।
वर्तमान नेटवर्क 2.5 एमबीपीएस तक प्राथमिक नोड्स और 825 केबीपीएस डेटा दर पर 33 उपयोगकर्ता नोड्स को समर्थन करता है। यह प्वाइंट टू प्वाइंट वीडियो सम्मेलन, आईपी डेटा संचार और टेलीफोनी (डीएमएस) समर्थन करता है। उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में आपदाओं के दौरान इस नेटवर्क का प्रभावी ढंग से उपयोग किया गया था।