कृषि
agriculture


भारत सरकार के कृषि मंत्रालय (एमओए) के आदेश पर अंतरिक्ष उपयोग केंद्र ने "फसल का रकबा और उत्पादन आकलन" नामक परियोजना के अंतर्गत दो दशकों तक उपग्रह सुदूर संवेदन द्वारा महत्वपूर्ण कृषि फसलों के उत्पादन का पूर्वानुमान किया। इसके बाद वर्ष 2007-08 में एक अधिक समावेशी मॉडल “फसल” (अंतरिक्ष, कृषि मौसम विज्ञान और भूमि आधारित अवलोकन का उपयोग कर कृषि उत्पादन का पूर्वानुमान) शुरू किया गया, और सैक को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर आधारित फसल-उत्पादन के पूर्वानुमान और नए डेटा की उपलब्धता के साथ प्रक्रिया के उन्नयन को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

जूट, खरीफ चावल, शीत ऋतु के आलू, रेपसीड/सरसों, गेहूं और रबी चावल जैसी 6 फसलों के आवर्ती पूर्वानुमान के लिए प्रक्रिया बनाई गई है। नेमी फसल सांख्यिकी संग्रह में इस उन्नत तकनीक को एकीकृत करने की आवश्यकता को देखते हुए कृषि एवं सहकारिता विभाग (डीएसी), कृषि मंत्रालय, भारत सरकार ने इसके लिए एक केंद्र स्थापित करने के लिए कदम उठाए। तदनुसार, केन्द्र "महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र" (एमएनसीएफसी) पूसा, राजेन्द्रनगर, नई दिल्ली में स्थापित किया गया। इस प्रकार, यह केंद्र 2012-13 से फसलों का पूर्वानुमान करने लगेगा।

सैक अब गन्ना, कपास, सोयाबीन, दाल आदि अन्य फसलों के पूर्वानुमान हेतु फसल से संबंधित विकासात्मक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसमें नए सेंसर, प्रक्रिया विकास, प्रचाल पुनर्प्राप्ति, बायोमास आकलन, कीट और रोगों मूल्यांकन आदि शामिल हैं। “फसल” के अंतर्गत फसल उत्पादन के पूर्वानुमान और परिस्थिति मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं के लिए राडार इमेजिंग उपग्रह (रीसैट -1) से मिले नए भारतीय सी बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) के आंकड़ों का इस्तेमाल 2012 के महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। “फसल” की वर्तमान अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों में नई फसलों-गन्ना (एडब्ल्यूआईएफएस का उपयोग करते हुए), कपास, सोयाबीन (एसएआर का उपयोग करते हुए) के पूर्व अनुमान हेतु तकनीकी, इन्सैट सीसीडी-एनडीवीआई उत्पाद तैयार करना और भू प्रेक्षण डेटा का उपयोग कर अंतर्राष्ट्रीय फसल आकलन पर प्रयोग शामिल शामिल हैं।

फसल के अलावा, सैक (डीएसी की एनएफएसएम) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन में शामिल है - पूर्वी भारत में हरित क्रांति लाना (चावल के उत्पादन प्रभाव की निगरानी), बीमारी और नुकसान संसूचन (गेहूं में पीला रतुआ), दलहन फसल सघनता एवं फसल बीमा के प्रोटोटाइप के लिए तकनीक विकास में संलग्न है।