निदेशक

निलेश एम. देसाई
विशिष्ट वैज्ञानिक
निदेशक, अंतरिक्ष उपयोग केंद्र



श्री निलेश एम. देसाई, विशिष्ट वैज्ञानिक ने 01 जनवरी 2021 के प्रभाव से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अग्रणी केंद्र अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक), अहमदाबाद में निदेशक का पदभार ग्रहण किया है, यह केंद्र अंतरिक्षीय उपकरणों तथा संबद्ध अनुप्रयोगों के डिजाइन एवं विकास के लिए कार्यरत है।

01 अप्रैल 1964 को नवसारी, गुजरात में जन्मे श्री निलेश देसाई एल. डी. इंजीनियरिंग कॉलेज, गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद, भारत से वर्ष 1985/ 86 बैच के बैचलर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स (इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन) में शीर्ष वरीयता प्राप्त गोल्डमेडलिस्ट हैं।

इसके तुरंत बाद, 1986 में, उन्होंने सैक/ इसरो, अहमदाबाद में इसरो के सूक्ष्मतरंग सुदूर संवेदन कार्यक्रम (एमआरएसपी) में अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की। अपने पैंतीस वर्षीय समर्पित और शानदार इंजीनियरिंग और अनुसंधान करियर में, वे इसरो की सूक्ष्मतरंग रेडार प्रणाली के डिजाइन व विकास और सामाजिक हित, शासन-व्यवस्था तथा सामरिक उपयोगार्थ भू-प्रेक्षण, नौवहन व संचार प्रौद्योगिकियों सहित उन्नत तथा सहक्रियाशील अनुप्रयोगों की समग्र श्रृंखला के निर्माण में शामिल रहे हैं।

श्री निलेश देसाई एक अत्यंत कुशल इंजीनियर हैं, जिन्होंने इसरो के आरआईसैट-1 सी-बैंड संश्लेषी अपर्चर रेडार (एसएआर), ओशनसैट-2 तथा स्केटसैट-1 प्रकीर्णमापी, चंद्रयान-2 कक्षित्र एसएआर और लैंडर तुंगतामापी व जोखिम संसूचन व बचाव प्रक्रमण प्रणाली, आपदा प्रबंधन के लिए हवाई एसएआर, मिनीसार आदि जैसे हवाई एवं अंतरिक्षीय सूक्ष्मतरंग सुदूर संवेदन नीतभारों और संबद्ध संकेत एवं डेटा प्रसंस्करण तथा सुदूर संवेदन अनुप्रयोगों के डिजाइन एवं विकास का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया है। वे विभिन्न प्रकार के वास्तविक काल डेटा प्रसंस्करण तकनीकों, स्वदेशी नाविक (भारतीय उपग्रह-समूह के साथ नौवहन) उपग्रहों के लिए प्रयोक्ता अभिग्राहियों, मोबाइल, ब्रॉडबैंड तथा उच्च थ्रूपुट संचार उपग्रहों के लिए सैटकॉम हब भू-केंद्रों एवं प्रयोक्ता टर्मिनलों के डिजाइन और विकास के लिए भी उत्तरदायी रहे हैं।

उन्होंने सूक्ष्मतरंग सुदूर संवेदन क्षेत्र (एमआरएसए) और सैटकॉम तथा सैटनैव उन्नत अनुप्रयोग क्षेत्र (एसएनएए/एसएसएए) के उप निदेशक के रूप में भी सेवाएं दी हैं। उन्हें 17 दिसंबर, 2018 को सह निदेशक, सैक के पद पर पदोन्नत किया गया, इस दौरान उन्होंने प्रेरक नेतृत्व शैली के साथ केंद्र की अगुवाई की। इन वर्षों में, उन्होंने अंतरिक्ष अवसंरचना और इसके अनुप्रयोगों के विकास और सशक्तीकरण का नेतृत्व किया और उसे दिशा प्रदान की। उनके नेतृत्व में सहक्रियाशील उपग्रह संचार एवं नौवहन (जिसे कॉमनैव कहा जाता है) आधारित अनुप्रयोगों को शामिल करते हुए शासन-व्यवस्था, विकास एवं सामरिक उपयोगार्थ पाइलट परियोजनाओं में प्रयुक्त अनेक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का विकास किया गया। उन्होंने वाणिज्यिक, सरकारी एवं सामरिक उपयोगकर्ताओं के लिए नाविक तथा गगन जैसी स्वदेशी नौवहन प्रौद्योगिकियों के उपयोग एवं अनुप्रयोग के प्रसार एवं बड़ी संख्या में उपयोग के लिए व्यापक प्रयास किये हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र एशिया तथा प्रशांत क्षेत्र अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शिक्षा केंद्र (यूएन-सीएसएसटीईएपी) के तत्वावधान में उपग्रह संचार (सैटकॉम) एवं वैश्विक नौवहन उपग्रह प्रणाली (जीएनएसएस) पर वैश्विक स्तर पाठ्यक्रमों के डिजाइन में भी मार्गदर्शन किया है।

वे भारत और विदेश में आयोजित विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रस्तुत लगभग 175 तकनीकी आलेखों के मुख्य लेखक अथवा सह-लेखक रहे हैं। उन्होंने सैक/ इसरो की 225 से अधिक तकनीकी रिपोर्टों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय वैश्विक नौवहन उपग्रह प्रणाली समिति (आईसीजी) बैठकों तथा सम्मेलनों में प्रतिनिधिमंडल सहित ऑस्ट्रिया, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इजरायल, रूस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका और यूनाइटेड किंगडम में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इसरो/ भारत का प्रतिनिधित्व किया है। हाल ही में, उन्होंने दिसंबर 2019 के दौरान भारत में आईसीजी-14 का आयोजन और अध्यक्षता की। उन्हें इसरो निष्पादन उत्कृष्टता पुरस्कार-2018, इसरो वैयक्तिक मेरिट पुरस्कार-2019 और वर्ष 2012 के लिए आरआईसैट-1 नीतभार डिजाइन, निर्माण एवं डेटा उत्पादों के लिए इसरो टीम पुरस्कार प्रदान किया गया है।

वे सामान्यतः भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और विशेषतः सैटनैव, सैटकॉम तथा सुदूर संवेदन व भू-प्रेक्षण कार्यक्रमों से संबंधित जन-संपर्क गतिविधियों के हिमायती रहे हैं। वे ऊर्जावान तथा उत्साही हैं और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष प्रदर्शनी, स्मार्ट इंडिया हैकथॉन (एसआईएच), राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी दिवस पर इंजीनियरिंग तथा विज्ञान में लोकप्रिय व्याख्यान आदि जैसी विभिन्न व्यावसायिक तथा जनसंपर्क गतिविधियों के लिए मार्गदर्शन में काफी समय और ऊर्जा खर्च करते हैं। एसआईएच के लिए इसरो/ अंतरिक्ष विभाग के मुख्य नोडल अधिकारी और एक प्रेरक के रूप में, वे सैक/ इसरो में स्कूली और कॉलेज छात्रों के लिए विभिन्न जनसंपर्क गतिविधियों के आयोजन की पहल करते रहे हैं।

उनके अभिरुचि और अनुसंधान क्षेत्रों में रेडार, नौवहन एवं सैटकॉम संकेत, डीएसपी एवं माइक्रोप्रोसेसर वास्तुकला, एफपीजीए/ एएसआईसी हार्डवेयर एवं वीएलएसआई डिजाइन, अंतःस्थापित प्रणालियों एवं सॉफ्टवेयर गुणवत्ता आश्वासन के लिए डेटा अर्जन और डिजीटल संकेत प्रसंस्करण शामिल हैं। वे इंडियन सोसायटी ऑफ रिमोट सेंसिंग (आईएसआरएस), इंडियन सोसाइटी ऑफ जियोमैटिक्स (आईएसजी), एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एएसआई) और इंडियन सोसाइटी ऑफ सिस्टम फॉर साइंस एंड इंजीनियरिंग (आईएसएसई) जैसी अनेक पेशेवर संस्थाओं के सक्रिय और आजीवन योगदानकर्ता सदस्य हैं। वर्तमान में वे आईएसआरएस कार्यकारी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आईएसएसई-अहमदाबाद चैप्टर के उपाध्यक्ष के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
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